तू जाग रे चेतन प्राणी कर आतम की अगवानी
जो आतम को लखते हैं उनकी है अमर कहानी॥
है ज्ञान मात्र निज ज्ञायक, जिसमें है ज्ञेय झलकते
है झलकन भी ज्ञायक है, इसमें नहीं ज्ञेय महकते
मै दर्शन ज्ञान स्वरूपी मेरी चैतन्य निशानी ॥
अब समकित सावन आया, चिन्मय आनंद बरसता
भीगा है कण कण मेरा, हो गई अखंड सरसता
समकित की मधु चितवन झलकी है मुक्ति निशानी ॥
ये शाश्वत भव्य जिनालय है शांति बरसती इनमें
मानों आया सिद्धालय मेरी बस्ती हो उसमें
मैं हूं शिवपुर का वासी भव भव खतम कहानी ॥