तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो
तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो, मैं जीवन दुख सब भूल गया
यह पावन प्रतिमा देख प्रभो ॥टेक॥
ज्यों काली घटायें आती हैं, त्यों कोयल कूक मचाती है
मेरा रोम रोम त्यों हर्षित है, हाँ हर्षित है
यह चन्द्र छवि जिन देख प्रभो ।१।
ओ...दोष के हरनेवाले हो,ओ मोक्ष के वरनेवाले हो
मेरा मन भक्ति में लीन हुआ,हाँ, लीन हुआ
इसको तो निभाना देख प्रभो ।२।
हर श्वांस में तेरी ही लय हो, कर्मों पे सदा विजय भी हो
यह जीवन तुझसा जीवन हो,हाँ जीवन हो
`सौभाग्य' यह ही लिख लेख प्रभो ।३।