श्री जिनवर पद ध्यावें जे नर
श्री जिनवर पद ध्यावें जे नर, श्री जिनवर पद ध्यावें हैं ॥
तिनकी कर्म कालिमा विनशे, परम ब्रह्म हो जावें हैं
उपल-अग्नि संयोग पाय जिमि, कंचन विमल कहावें हैं ।१।
चन्द्रोज्ज्वल जस तिनको जग में, पण्डित जन नित गावें हैं
जैसे कमल सुगन्ध दशों दिश, पवन सहज फैलावें हैं ।२।
तिनहि मिलन को मुक्ति सुन्दरी, चित अभिलाषा लावें हैं
कृषिमें तृण जिमि सहज उपजियो, स्वर्गादिकसुख पावेंहैं ।३।
जनम-जरा-मृत दावानल ये, भाव सलिल तैं बुझावें हैं ।
भागचंद कहाँ तांई वरने, तिनहि इन्द्र शिर नावें हैं ।४।