सजधज के जिस दिन मौत की शहजादी आयेगी,
ना सोना काम आयेगा, ना चांदी आयेगी ॥
छोटा सा तू, कितने बडे अरमान हैं तेरे,
मिट्टी का तू सोने के सब सामान हैं तेरे,
मिट्टी की काया मिट्टी में जिस दिन समायेगी,
ना सोना काम आयेगा, ना चांदी आयेगी ॥
कोठी वही बंगला वही बगिया रहे वही,
पिंजरा वही, पंछी वही है बागवां वही,
ये तन का चोला आत्मा जब छोड जायेगी,
ना सोना काम आयेगा, ना चांदी आयेगी ॥
पर खोल के पंछी तू पिंजरा तोड के उड जा,
माया-महल के सारे बंधन छोड के उड जा,
धडकन में जिस दिन मौत तेरी गुनगुनायेगी,
ना सोना काम आयेगा, ना चांदी आयेगी ॥