Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

रोम रोम से निकले प्रभुवर


admin

रोम रोम से निकले प्रभुवर

रोम रोम से निकले प्रभुवर नाम तुम्हारा, हां नाम तुम्हारा ।

ऐसी भक्ति करूं प्रभु जी, पाऊं न जन्म दुबारा ॥

 

जिनमंदिर में आया, जिनवर दर्शन पाया,

अंतर्मुख मुद्रा को देखा, आतम दर्शन पाया,

जनम जनम तक ना भूलूंगा, यह उपकार तुम्हारा ॥

 

अरहंतों को जाना, आतम को पहिचाना,

द्रव्य और गुण पर्यायों से, जिन सम निज को माना,

भेद ज्ञान ही महामंत्र है, मोह तिमिर क्षयकारा ॥

 

पंच महाव्रत धारूं, समिति गुप्ति अपनाऊं,

निर्ग्रथों के पथ पर चलकर, मोक्ष महल में आऊं,

पुण्य पाप की बंध श्रॄंखला, नष्ट करूं दुखकारा ॥

 

देव-शास्त्र-गुरु मेरे, हैं सच्चे हितकारी,

सहज शुद्ध चैतन्य राज की, महिमा जग से न्यारी,

भेदज्ञान बिन नहीं मिलेगा, भव का कभी किनारा ॥



×
×
  • Create New...