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रहूंगा मैं तो निज घर में


admin

मोहे भावे न भैया थारो देश, रहूंगा मैं तो निज घर में ॥

 

मोहे न भावे यह महल अटारी, झूठी लागे मोहे दुनिया सारी

मोहे भावे नगन सुभेष, रहूंगा मैं तो निज घर में ॥

 

हमें यहां अच्छा नहीं लगता, यहां हमारा कोई न दिखता

मोहे लागे यहां परदेस, रहूंगा मैं तो निज घर में ॥

 

श्रद्धा ज्ञान चारित्र निवासा, अनंत गुण परिवार हमारा

मैं तो जाऊंगा सुख के धाम, रहूंगा मैं तो निज घर में ॥

 

कब पाऊंगा निज में थिरता, मैं तो इसके लिये तरसता

मैं तो धारूं दिगम्बर वेष, रहूंगा मैं तो निज घर में ॥

 



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