प्रभु दर्शन कर जीवन की
प्रभु दर्शन कर जीवन की, भीड़ भगी मेरे कर्मन की ॥टेर॥
भव बन भ्रमता हारा था पाया नहीं किनारा था
घड़ी सुखद आई सुमरण की ।१। भीड़ भगी..
शान्त छबी मन भाई है, नैनन बीच समाई है
दूर हटूँ नहीं पल छिन भी ।२। भीड़ भगी..
निज पद का `सौभाग्य' वरूं, अरु न किसी की चाह करूँ
सफल कामना हो मन की ।३। भीड़ भगी..