ऊंचे ऊंचे शिखरों वाला है रे, तीरथ हमारा,
तीरथ हमारा हमें लागे है प्यारा।
श्री जिनवर से भेंट करावे, जग को मुक्ति मार्ग दिखावे,
मोह का नाश करावे रे, ये तीरथ हमारा ॥
शुद्धातम से प्रीति लगावे, जड चेतन को भिन्न बतावे,
भेद विज्ञान करावे रे, यह तीरथ हमारा ॥
भाव सहित वंदे जो कोई, ताहि नरक पशुगति नहिं होई,
भेद विज्ञान करावे रे, ये तीरथ हमारा ॥
रंग राग से भिन्न बतावे, शुद्धातम का रूप बतावे,
मुक्ति का मारग दिखावे रे, ये तीरथ हमारा ॥
भाव सहित वंदे जो कोई, ताहि नरक पशु गति ना होई,
उनके लिये खुल जाये रे, सीधा स्वर्ग का द्वारा ॥
जहां तीर्थंकर ने वचन उचारे, कोटि कोटि मुनि मोक्ष पधारे,
पूज्य परम पद पाये रे, जन्मे ना दोबारा ॥
हरे-हरे वृक्षों की झूमे डाली, समवसरण की रचना निराली,
पर्वतराज पे शीतल जरना, बहता सुप्यारा ॥