निजपुर में आज मची रे होरी ॥ टेक ॥
उमगी चिदानंद जी इत आये, इत आई सुमति गोरी ॥
लोकलाज कुलकानि गमाई, ज्ञान गुलाल भरी झोरी।
समकित केसर रंग बनायो, चारित की पिचुकी छोरी ॥
गावत अजपा गान मनोहर, अनहद झरसौं वरस्यो री।
देखन आये बुधजन भीगे, निरख्यौ ख्याल अनोखो री ॥