मंत्र नवकार हमें प्राणों से प्यारा,
ये है वो जहाज जिसने लाखों को तारा
अरिहंतों को नमन हमारे, अशुभ कर्म अरि हनन करे।
सिद्धों के सुमिरन से आत्मा, सिद्ध क्षेत्र को गमन करे।
भव भव में नहीं जन्में दुबारा ॥ मंत्र नवकार...।१।
आचार्यों के आचारों से, निर्मल निज आचार करें।
उपाध्याय का ध्यान धरें हम, संवर का सत्कार करें।
सर्व साधु को नमन हमारा ॥ मंत्र नवकार...।२।
इसी मंत्र से नाग नागिनी, पद्मावती धरणेन्द्र हुए।
सेठ सुदर्शन को सूली से, मुक्ति मिलि राजेन्द्र हुए।
अंजन चोर का कष्ट निवारा ॥ मंत्र नवकार...।३।
सोते उठते चलते फ़िरते, इसी मंत्र का जाप करो।
आप कमाये पाप तो उनका, क्षय भी अपने आप करो।
इस महामंत्र का ले लो सहारा ॥ मंत्र नवकार...।४।