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मैं सहजानन्द स्वरूपी हूं


admin

मैं दर्शन ज्ञान स्वरूपी हूं, मैं सहजानन्द स्वरूपी हूं ॥

 

हूं ज्ञान मात्र परभाव शून्य, हूं सहज ज्ञान धन स्वयं पूर्ण,

हूं सत्य सहज आनन्द धाम, मैं सहजानन्द स्वरूपी हूं॥

 

हूं खुद का ही कर्ता भोक्ता, पर में मेरा कुछ काम नहीं,

पर का न प्रवेश न कार्य यहां, मैं सहजानन्द स्वरूपी हूं ॥

 

आओ उतरो रमलो निज में,निज में निज की दुविधा ही क्या।

है अनुभव रस से सहज प्राप्त, मैं सहजानन्द स्वरूपी हूं ॥

 



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