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म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार


admin

म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥

 

चरणां में राखी लीजो, भव से अब तारी लीजो

कर दीज्यो इतनो उपकार ॥ म्हारी माँ॥

 

कुंदकुंद सा थारा बेटा, दुखडा सब जग का मेटा

कर दीज्यो इतनो उपकार ॥ म्हारी माँ॥

 

जिनवाणी सुन हरषाये, निश्‍चित ही भव्य कहावे

हो जावे भव से पार ॥ म्हारी माँ॥

 

तत्त्वों का सार बतावे, ज्ञायक से भेंट करावे

कियो अनंत उपकार ॥ म्हारी माँ॥



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