लिया आज प्रभु जी ने जनम सखी,
चलो अवधपुरी गुण गावन कों ॥ लिया..॥
तुम सुन री सुहागन भाग भरी,
चलो मोतियन चौक पुरावन कों ॥ लिया..।१।
सुवरण कलश धरों शिर ऊपर,
जल लावें प्रभु न्हवावन कों ॥ लिया...।२।
भर भर थाल दरब के लेकर ,
चालो जी अर्घ चढावन कों ॥ लिया...।३।
नयनानंद कहे सुनि सजनी,
फ़ेर न अवसर आवन कों॥ लिया....।४।