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 लम्बी है डगरिया


admin

कबधौं सर पर धर डोलेगापापों की गठरिया,

करले करले हल्का बोझालम्बी है डगरिया ।टेर।

 

यह संसार बिहड बन पंछीकुल तरुवर सम जान ले

आयु रेन बसेरा करकेउड जाना है मान ले

फ़िर भोगों में तडफ़ रहा क्योंजल बिन ज्यों मछलिया ।१।

 

चिंतामणि सम मनुष जनम पानिज स्वभाव क्यों भूला है

अक्षय आतम द्रव्य छोडकरनश्वर पर क्यों फ़ूला है

क्षण भंगुर है तन धन यौवनजिमि सावन बदरिया ।२।

 

परिग्रह पोट उतार सयानेरत्नत्रय उर धार ले

पंचम गति सौभाग्य मिलेगीवीतराग पथ सार ले

प्रभु भक्ति बिन बीत ना जायेतेरी प्रिय उमरिया ।३।

 



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