क्यूं करे अभिमान जीवन, है ये दो दिन का ।
इक हवा के झोंके से उड़ जाए ज्यों तिनका ॥
लाखों आए और चले गए,थिर न रह पाया
ख़ाक बन जायेगी इक दिन, ये तेरी काया
ये समय है आज तेरे आत्म चिंतन का ॥
खाली हाथों आया जग में, संग ना कुछ जाए
कर्म तू जैसा करेगा, काम वो ही आए
ज्ञान की ज्योति जगा, तम दूर कर मन का ॥
छोड़कर झंझट जगत के, शरण प्रभु की आ
त्याग जप तप शील संयम,साधना चित ला
दास है ये भक्त तेरा- वीर चरणन का ॥