ये शाश्वत सुख का प्याला, कोई पियेगा अनुभव वाला॥
ध्रुव अखंड है, आनंद कंद है, शुद्ध बुद्ध चैतन्य पिण्ड है
ध्रुव की फ़ेरो माला, कोई....।१।
मंगलमय है, मंगलकारी, सत चित आनंद का है धारी
ध्रुव का हो उजियारा, कोई....।२।
ध्रुव का रस तो ज्ञानी पावे, जन्म मरण का दुःख मिटावे
ध्रुव का धाम निराला, कोई....।३।
ध्रुव की धूनी मुनि रमावे, ध्रुव के आनंद में रम जावे
ध्रुव का स्वाद निराला, कोई....।४।
ध्रुव के रस में हम रम जावें, अपूर्व अवसर कब यह पावें
ध्रुव का हो मतवाला, कोई....।५।