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कोई इत आओ जी


admin

कोई इत आओ जी

कोई इत आओ जी, वीतराग ध्याओ जी,

जिनगुण की आरती संजोय लाओ जी ॥

 

दया का हो दीपक, क्षमा की हो ज्योत,

तेल सत्य संयम में, ज्ञान का उद्योत,

मोहतम नशाओ जी, वीतराग ध्याओ जी ॥

 

संयम की आरती में, समकित सुगंध,

दर्श ज्ञान चारित्र की, हृदय में उमंग,

भेद ज्ञान पाओ जी, वीतराग ध्याओ जी ॥

 

निर-तन को पाय कर, भूलयो मती,

बन जा दिगम्बर, महाव्रत यती,

भावना ये भावो जी, वीतराग ध्याओ जी ॥

 

जिनगुण की आरती में, ध्यान की कला,

भव भव के लागे सब, कर्म लो गला,

भवभ्रमण मिटाओ जी, वीतराग ध्याओ जी ॥



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