लहर लहर लहराये, केसरिया झंडा जिनमत का...हो जी
सबका मन हरषाये, केसरिया झंडा जिनमत का...हो जी
फ़र फ़र फ़र फ़र करता झंडा, गगन शिखा पे डोले,
स्वास्तिक का यह चिन्ह अनूठा, भेद हृदय के खोले,
यह ज्ञान की ज्योति जगाये,
केसरिया झंडा जिनमत का… हो जी ॥
इसकी शीतल छाया में सब, पढे रतन जिनवाणी,
सत्य अहिंसा प्रेम युक्त सब, बने तत्व श्रद्धानी,
यह सत पथ पर पहुंचाये,
केसरिया झंडा जिनमत का...हो जी ॥