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करता हूं मैं अभिनन्दन


admin

करता हूं मैं अभिनन्दन, स्वीकार करो माँ,

शरणागत अपने बालक का, उद्धार करो माँ ।

हे माँ जिनवाणी, हे माँ जिनवाणी॥

 

मिथ्यात्व वश रुल रहा हूं माँ, अशरण संसार में,

पुण्योदय से आ गया हूं माँ, तेरे दरबार में ।

सम्यक हो मेरी बुद्धि, उपकार करो माँ ॥ शरणागत...॥

 

इस पंचम काल में तीर्थंकर, दर्शन हैं नहीं,

सच्चे ज्ञानी गुरु दुर्लभ, मिलते कभी नहीं ।

अतएव मुझ निराधार की, आधार तुम्हीं माँ ॥ शरणागत...॥

 

जीवादि सात तत्वों का माँ, मर्म बताया,

स्याद्वाद अनेकांत ले, निजरूप जताया ।

निजरूप को लखकर माँ निज में लीन रहूं माँ ॥ शरणागत..॥

 

भोगों से उदासीन निज पर की धारूं करुणा,

सम्यक श्रद्धा पूर्वक कषाय परिहरना ।

रत्नत्रय पथ पर चलकर शिवनारी वरूं माँ ॥ शरणागत...॥



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