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कर लो जिनवर का गुणगान


admin

कर लो जिनवर का गुणगान

कर लो जिनवर का गुणगान, आई सुखद घडी,

आई सफ़ल घडी, देखो मंगल घडी॥

 

वीतराग का दर्शन-पूजन, भव भव को सुखकारी।

जिन प्रतिमा की प्यारी छबि लख मैं जाऊं बलहारी ।१।

 

तीर्थंकर सर्वज्ञ हितंकर महा मोक्ष का दाता।

जो भी शरण आपकी आता तुम सम ही बन जाता ।२।

 

प्रभु दर्शन से आर्त रौद्र परिणाम नाश हो जाते।

धर्म ध्यान में मन लगता है, शुकल ध्यान भी पाते ।३।

 

सम्यग्दर्शन हो जाता है मिथ्यातम मिट जाता।

रत्नत्रय की दिव्य शक्ति से, कर्म नाश हो जाता ।४।

 

निज स्वरूप का दर्शन होता, निज की महिमा आती।

निज स्वभाव साधन के द्वारा सिद्ध स्वगति मिल जाती ।५।



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