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जिनवाणी माता दर्शन की बलिहारियाँ


admin

जिनवाणी माता दर्शन की बलिहारियाँ ।।टेक ।।

 

प्रथम देव अरहन्त मनाऊँ, गणधरजी को ध्याऊँ ।

कुन्दकुन्द आचार्य हमारे, तिनको शीश नवाऊँ ।१।

 

योनि लाख चौरासी माहीं, घोर महादु:ख पायो ।

ऐसी महिमा सुनकर माता, शरण तुम्हारी आयो ।२।

 

जानै थाँको शरणो लीनों, अष्ट कर्म क्षय कीनो ।

जनम-मरण मिटा के माता, मोक्ष महापद दीनो ।३।

 

ठाड़े श्रावक अरज करत हैं, हे जिनवाणी माता ।

द्वादशांग चौदह पूरव का, कर दो हमको ज्ञाता ।४।



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