जिनवाणी माँ जिनवाणी माँ, जयवन्तो मेरी जिनवाणी माँ ॥
शुद्धातम का ज्ञान कराती, चिदानन्द रस पान कराती,
कुन्दकुन्द से भेंट कराती, आत्मख्याति का बोध कराती ॥
नित्यबोधनी माँ जिनवाणी, स्व पर विवेक जगाती वाणी,
मिथ्याभ्रान्ति नशाती वाणी, ज्ञायक प्रभु दरशाती वाणी ॥
असताचरण नसाती वाणी, सत्य धर्म प्रगटाती वाणी,
भव दुख हरण पियूष समानी,भव दधि तारक नौका जानी ॥
जो हित चाहो भविजन प्राणी, पढो सुनो ध्याओ जिनवाणी,
स्वानुभूति से करो प्रमानी, शिवपथ को है यही निशानी ॥