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जिनवाणी जग मैया


admin

जिनवाणी जग मैया, जनम दुख मेट दो।

जनम दुख मेट दो, मरण दुख मेट दो॥

 

बहुत दिनों से भटक रहा हूं, ज्ञान बिना हे मैया ।

निर्मल ज्ञान प्रदान सु कर दो, तू ही सच्ची मैया ॥

 

गुणस्थानों का अनुभव हमको, हो जावे जगमैय्या ।

चढैं उन्हीं पर क्रम से फ़िर, हम होवें कर्म खिपैया ॥

 

मेट हमारा जन्म मरण दुख, इतनी विनती मैया ।

तुमको शीश त्रिलोकी नमावे, तू ही सच्ची मैया ॥

 

वस्तु एक अनेक रूप है, अनुभव सबका न्यारा ।

हर विवाद का हल हो सकता, स्यादवाद के द्वारा ॥



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