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इक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया


admin

ममता की पतवार ना तोडी आखिर को दम तोड दिया ।

इक अनजाने राही ने शिवपुर का मारग छोड दिया ॥टेक॥.

 

नर्क में जिसने भावना भायी मानुष तन को पाने की,

भेष दिगम्बर धारण करके मुक्ति पद को पाने की,

लेकिन देखो आज ये हालत ममता के दीवाने की,

चेतन होकर जड द्रव्यों से कैसे नाता जोड लिया॥ इक..

 

ममता के बन्धन मे बंध कर क्या युग युग तक सोना है,

मोह अरी का सचमुच इस पर हो गया जादू टोना है,

चेतन क्या नरतन को पाकर अब भी यों ही खोना है,

मन का रथ क्यों शिवमारग से कुमारग पर मोड दिया ॥इक.

 

मत खोना दुनिया में आकर ये बस्ती अनजानी है,

जायेगा हर जाने वाला जग की रीति पुरानी है,

जीवन बन जाता यहां पंकज सबकी एक कहानी है,

चेतन निज स्वरुप देखा तो दुख का दामन तोड दिया ॥इक

 



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