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होली खेलें मुनिराज शिखर वन में


admin

होली खेलें मुनिराज शिखर वन में,रे अकेले वन में,मधुवन में

मधुवन में आज मची रे होली, मधुवन में ॥टेक॥

 

चैतन्य-गुफा में मुनिवर बसते, अनन्त गुणों में केली करते

एक ही ध्यान रमायो वन में, मधुवन में ॥ होली. ।१।

 

ध्रुवधाम ध्येय की धूनी लगाई,ध्यानकी धधकती अग्निजलाई

विभाव का ईंधन जलायें वन में, मधुवन में ॥ होली.।२।

 

अक्षय घट भरपूर हमारा, अन्दर बहती अमृत धारा

पतली धार न भाई मन में, मधुवन में ॥ होली. ।३।

 

हमें तो पूर्ण दशा ही चहिये, सादि-अनंत का आनंद लहिये

निर्मल भावना भाई वन में, मधुवन में ॥ होली. ।४।

 

पिता झलक ज्यों पुत्र में दिखती,

जिनेन्द्र झलक मुनिराज चमकती

श्रेणी माँडी पलक छिन में, मधुवन में ॥ होली. ।५।

 

नेमिनाथ गिरनार पे देखो, शत्रुंजय पर पाण्डव देखो

केवलज्ञान लियो है छिन में, मधुवन में ॥ होली. ।६।

 

बार-बार वन्दन हम करते, शीश चरण में उनके धरते

भव से पार लगाये वन में, मधुवन में ॥ होली. ।७।



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