हे प्रभो चरणों में तेरे
हे प्रभो चरणों में तेरे आ गये;
भावना अपनी का फ़ल हम पा गये ॥
वीतरागी हो तुम्हीं सर्वज्ञ हो,
सप्त तत्वों के तुम्हीं मर्मज्ञ हो,
मुक्ति का मारग तुम्हीं से पा गये, भावना... ।१।
विश्व सारा है झलकता ज्ञान में,
किंतु प्रभुवर लीन हैं निज ध्यान में,
ध्यान में निज ज्ञान को हम पा गये, भावना... ।२।
तुमने बताया जगत के सब आत्मा,
द्रव्य दृष्टि से सदा परमात्मा,
आज निज परमात्मा पद पा गये, भावना... ।३।