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गा रे भैया, गा रे भैया


admin

गा रे भैया, गा रे भैया

गा रे भैया, गा रे भैया, गा रे भैया गा,

प्रभु गुण गा तू समय ना गवां ॥

 

किसको समझे अपना प्यारे, स्वारथ के हैं रिश्ते सारे

फ़िर क्यों प्रीत लगाये, ओ भैया जी॥ गा रे भैया...।१।

 

दुनियां के सब लोग निराले, बाहर उजले अंदर काले

फ़िर क्यों मोह बढाये, ओ बाबू जी॥ गा रे भैया...।२।

 

मिट्टी की यह नश्वर काया, जिसमें आतम राम समाया

उसका ध्यान लगा ले, ओ दादा जी॥ गा रे भैया...।३।

 

स्वारथ की दुनियां को तजकर,

निश दिन प्रभु का नाम जपाकर

समयग्दर्शन पाले, ओ काका जी॥ गा रे भैया...।४।

 

शुद्धातम को लक्ष्य बनाकर, निर्मल भेदज्ञान प्रगटाकर

मुक्ति वधू को पाले, ओ लाला जी॥ गा रे भैया...।५।



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