एक तुम्हीं आधार हो जग में
एक तुम्हीं आधार हो जग में, अय मेरे भगवान
कि तुमसा और नहीं बलवान
सँभल न पाया गोते खाया, तुम बिन हो हैरान
कि तुमसा और नहीं बलवान ॥टेक॥
आया समय बड़ा सुखकारी, आतम-बोध कला विस्तारी
मैं चेतन, तन वस्तुमन्यारी, स्वयं चराचर झलकी सारी
निज अन्तर में ज्योति ज्ञान की अक्षयनिधि महान,
कि तुमसा और नहीं बलवान ।१।
दुनिया में इक शरण जिनंदा, पाप-पुण्य का बुरा ये फंदा
मैं शिवभूप रूप सुखकंदा, ज्ञाता-दृष्टा तुम-सा बंदा
मुझ कारज के कारण तुम हो, और नहीं मतिमान
कि तुमसा और नहीं बलवान ।२।
सहज स्वभाव भाव दरशाऊँ , पर परिणति से चित्त हटाऊँ
पुनि-पुनि जग में जन्म नपाऊँ,सिद्धसमान स्वयं बनजाऊँ
चिदानन्द चैतन्य प्रभु का है सौभाग्य प्रधान
कि तुमसा और नहीं बलवान ।३।
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