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दिन रात स्वामी तेरे गीत गाऊं


admin

दिन रात स्वामी तेरे गीत गाऊं

दिन रात स्वामी तेरे गीत गाऊं,

भावों की कलियां चरणे खिलाऊं ॥

 

तेरी शांत मूरत मुझे भा गई है,

मेरे नैनों में नजर आ गई है,

मैं अपने में अपने को कैसे समाऊं, भावों की कलियां...

 

मैं सारे जहां में कहीं सुख ना पाया,

है गम का भरा गहरा दरिया है छाया,

ये जीवन नैया मैं कैसे तिराऊं, भावों की कलियां...

 

निगोदावस्था से मानव गति तक,

तुझे लाख ढूंढा न पाया मैं अब तक,

कहां मेरी मंजिल तुझे कैसे पाऊं, भावों की कलियां..

 

यही आस जिनवर शरण पाऊं तेरी,

मिट जाय मेरी ये भव भव की फ़ेरी,

शरण दो तुम्हें नाथ शीश नवाऊं, भावों की कलियां...



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