Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

धन्य धन्य है घड़ी आजकी


admin

धन्य धन्य है घड़ी आजकी

धन्य धन्य है घड़ी आजकी, जिनधुनि श्रवन परी ।

तत्त्वप्रतीत भई अब मेरे, मिथ्यादृष्टि टरी ।।टेक ।।

 

जड़तैं भिन्न लखी चिन्मूरति, चेतन स्वरस भरी ।

अहंकार ममकार बुद्धि पुनि, परमें सब परिहरी ।१।

 

पापपुण्य विधिबंध अवस्था, भासी अतिदुखभरी ।

वीतराग विज्ञानभावमय, परिनत अति विस्तरी ।२।

 

चाह-दाह विनसी वरसी पुनि, समतामेघझरी ।

बाढ़ी प्रीति निराकुल पदसों, `भागचन्द' हमरी ।३।



×
×
  • Create New...