भटके हुए राही को प्रभु
तर्ज: मेरा गीत अमर कर दो...
भटके हुए राही को प्रभु राह बता देना
इस डगमग नैया की प्रभु की लाज बचालेना ॥
जग की माया ने मुझे, पथ से भटकाया है
भोगों की पिपासा ने भव वन में भ्रमाया है
करुणासागर भगवान, सत पथ दिखला देना ।१।
बाहर के वैभव में, मैं ख़ुद को भूल गया
ममता और माया के, झूले में झूल गया
अब शरण तेरी आया, गफलत से बचा देना ।२।
दुःख का दावानल है, चहुँ ओर अंधेरा है
बोझल इस जीवन में, चौरासी का फेरा है
बुझते हुए दीपक की, प्रभु ज्योत जगा देना ।३।