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भजन बिन योंही जनम गमायो


admin

भजन बिन योंही जनम गमायो ॥टेर॥

पानी पहली पाल न बाँधीफिर पीछै पछतायो ।१।

 

रामा-मोह भये दिन खोवतआशा पाश बँधायो ।

जप तप संजमदान नहीं दीनों मानुष जनम हरायो ।२।

 

देह शीस जब काँपन लागीदसन चलाचल थायो ।

लागी आगि बुझावन कारन चाहत कूप खुदायो ।३।

 

काल अनादि गुमायो भ्रमतांकबहुँ न थिर चित लायो ।

हरी विषय सुख भरम भुलानो,मृग तृष्णा वशि धायो ।४।

 



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