आगया.. आगया... आगया..
तर्ज : आएगा आएगा - महल
आगया.. आगया... आगया...
आगया शरण तिहारी आगया... आगया... आगया..
सुनकर बिरद तुम्हारा, तेरी शरण में आया।
तुमसा न देव मैंने, कोई कहीं है पाया।
सर्वज्ञ वीतरागी सच्चे हितोपदेशक २
दर्शन से नाथ तेरे कटते हैं पाप बेशक ॥ आगया..।१।
चारों गति के दुख जो, मैंने भुगत लिये हैं।
तुमसे छिपे नहीं हैं, जो जो करम किये हैं।
अब तो जनम मरण की काटो हमारी फ़ांसी २
वरना हंसेगी दुनिया, बिगडेगी बात खासी ॥ आगया..।२।
अंजन से चोर को भी, तुमने किया निरंजन।
श्रीपाल कोडि की भी, काया बना दी कंचन।
मेंढक सा जीव भी जब, तेरे नाम से तिरा है २
पंकज ये सोच तेरे, चरणों में आ गिरा है ॥ आगया..।३।