जय बावन जिन देवा, जय बावन जिन देवा |
आरती करूँ तुम चरणे-२ भवजल नदि न्हावा || जयदेव-२
प्रथमो जंबु द्वीप, घातकी वर बीजो-२ |
पुष्कर पूरव शोभित, पुष्कर वर त्रीजो || जयदेव-२ ||
चोथो वारूण द्वीप, पंचम क्षीरवर-२ |
छठ्ठो घृतवर शोभित, सप्तम इक्षुवर || जयदेव-२ ||
अष्टम शोभे द्वीप नन्दीश्वर नामा-२ |
प्रति दश तेरह अकृतिम जिन धामा || जयदेव-२ ||
अन्जम भूधर एक, दधिमुख नग्र चार-२ |
गज मति रविकर पर्वत, तेरह गिरि सार || जयदेव-२ ||
एवं चौदिशी बावन, पृथ्वी धर लम्बा-२ |
गिरिपति ज्येष्ठ जिनालय, मणिमय जिनबिम्बा || जयदेव-२ ||
शुभ अषाढे कारतक, फाल्गुन, सुदी पक्षा-२ |
इन्द्रादिक करे पूजा, अष्टानिक दक्षा || जयदेव-२ ||
अष्टम दिन थी मंडित, पूनम परियंता-२ |
जिनगुणसागर गावे, पावे सुव कांता || जयदेव-२ ||