ओं जय पारस देवा, स्वामी जय पारस देवा |
आरति हम सब करते, मिले मुक्ति मेवा || टेक ||
बड़ागांव टीले से, स्वप्न दिया तुमने |
चमत्कार कर प्रगटे, शरण लही हमने || ओं ..
लक्ष्मण बचे तोप से, महिमा जग छायी |
तन निरोग कितनों ने, नेत्र ज्योति पायी || ओं ..
स्याद्वाद गुरुकुल में, इन्द्र शीश राजे |
शतक आठ फण छाया, सौम्य मूर्ति साजे || ओं ..
जो भी शरण में आते, वांछित फल पाते |
भूत-प्रेत, करमों-कृत, संकट कट जाते || ओं ..
स्याद्वाद ध्वज धरती पर, आपहि फहराया |
किया समर्पण सन्मति, अनुभव लहराया || ओं ..