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महावीर स्वामी स


admin

करौं आरती वर्द्धमानकी । पावापुर निरवान थान की ॥ टेक

 

राग बिना सब जगजन तारे । द्वेष बिना सब कर्म विदारे ।

 

शील धुरंधर शिव तिय भोगी । मनवच कायन कहिये योगी । करौं०

 

रत्नत्रय निधि परिग्रह हारी । ज्ञानसुधा भोजनव्रतधारी । करौं०

 

लोक अलोक व्यापै निजमांहीं । सुखमय इंद्रिय सुखदुख नाहीं । करौं०

 

पंचकल्याणकपूज्य विरागी । विमल दिगंबर अबंर त्यागी । करौं०

 

गुनमनि भूषन भूषित स्वामी । जगत उदास जगंतर स्वामी । करौं०

 

कहै कहां लौ तुम सबजानौं । द्यानत की अभिलाषा प्रमानौ । करौं०



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