देह व आत्मा में भेद
आत्मा के लक्षण बताकर आचार्य योगिन्दु देह से उसका भेद बताते हुए कहते हैं कि आत्मा का जिसके साथ सम्बन्ध नहीं है शरीर का उसके साथ पूरा सम्बन्ध है। आत्मा के जन्म, बुढ़ापा और मरण, रोग, लिंग वर्ण तथा एक भी संज्ञा नहीं है, किन्तु देह के जन्म, बुढापा, मरण, अनेक प्रकार के रंग रोग, और अनेक प्रकार के लिंग होते हैं। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा -
70. देहहँ उब्भउ जर-मरणु देहहँ वण्णु विचित्तु ।
देहहँ रोय वियाणि तुहुं देहहँ लिंगु विचित्तु ।।
अर्थ - देह के जन्म, बुढापा और मरण (होते हैं), देहों के अनेक प्रकार के रंग (होते हैं), देहों के रोग, (और) देहों के (ही) अनेक प्रकार के लिंग होते हैं, (यह) तू समझ।
शब्दार्थ - देहहँ -देहों के, उब्भउ-जन्म, जर-मरणु - बुढ़ापा और मरण, देहहँ -देहों के, वण्णु-वर्ण, विचित्तु - अनेक प्रकार के, देहहँ-देहों के, रोय-रोग, वियाणि-जान, तुहुं -तू, देहहँ-देहों के, लिंगु-लिंग, विचित्तु-अनेक प्रकार के
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