मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यहअहिंसाहै। जैनधर्मएवं हिन्दूधर्ममेंअहिंसाका बहुत महत्त्व है। जैनधर्मके मूलमंत्र में हीअहिंसा परमो धर्म: (अहिंसापरम (सबसे बड़ा)धर्मकहा गया हैै |
अहिंसा संगोष्ठी : अहिँसा विषय पर आपकी पंक्तियां
In Non-violence, Ahinsa
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मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया हैै |