अघ-हर श्री जिनबिंब मनोहर, चौबीस जिन का करो भजन,
आज दिवस कंचन सम उगीयो, जिन मंदिर में चलो सजन .
अघ-हर..||1||
न्हवन स्थापना सहस्रनाम जप, अष्ट-विधार्चन पूजा रचन,
जयमाला आरती सुस्वर,स्तवन, सामायिक त्रिकाल पठन.
अघ-हर …||2||
जय जय आरती सुरनर नाचत, आनहद दुंदुभी बाज बजन,
रत्न जड़ित कर-ताल मनोहर, ज्योति अनुपम धूम्र-तजन .
अघ-हर…||3||
ऋषभ अजित सम्भव सुखदाता, अभिनंदन के नमूं चरण,
सुमति पद्मप्रभु ,देव सुपार्श्व, चन्द्रनाथ वपु शुभ्र वरण
अघ-हर….||4||
पुष्पदंत,शीतल श्रेंयास नमो, वासुपूज्य भव-तार-तरण,
विमल अनंत धर्म शान्ती जिन, कुन्थु अरह जिन जन्म-हरण.
अघ-हर…||5||
अरु मल्लि मुनिसुव्रत, नमि नेमी, पार्श्वनाथ हत अष्ट करम,
नाथवंश, उन्नत कर सप्तम, अंतिम सन्मति देव शरण
अघ-हर…||6||
समवशरण की अगणित शोभा, बार सभा उपदेश धरन,
जीव उद्धारक, त्रिभुवन तारक, राय रंक की राख शरन।
अघ-हर…||7||
तीर्थंकर गुणमाल कण्ठकर, जाप जपो नित करो कथन,
देव शास्त्र गुरु विनय करो, ये तीन रतन को करो जतन।
अघ-हर…||8||
मूलसंघ पुष्पकरगच्छ मंडन, शांतिसेन गुरुपाद रचन,
भविजन भावे शिवसुख पावे, 'बगेरवाल' कहे लाड रतन।
अघ-हर…||9||