अंजलि जैन
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Jinvani
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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव
शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)
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आचार्य श्री पूज्यपाद द्वारा रचित इष्टोपदेश ग्रंथ में कुल 51 श्लोक हैं।
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१-ऐरावत हाथी, २-सफेद बैल, ३-सिंह, ४-दो सफेद फूल, ५-सिंहासन पर लक्ष्मी, ६-पूर्ण चंद्रमा, ७-उदित सूर्य, ८-दो स्वर्ण कलश, ९-युगल मछली, १०-तालाब, ११-समुद्र, १२-स्वर्णमय सिंहासन, १३-रत्नमय विमान, १४-नाग भवन, १५-रत्न, १६-निर्धूम अग्नि।
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ईषत प्राग्भार नाम की अष्टम वसुधा है
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कर्मो का आस्रव 108 द्वारों से होता है, उसको रोकने हेतु 108 बार णमोकार मन्त्र जपते हैं।
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समणसुत्तं
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🙏 हां जी 🙏
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इस (सुमेरू) पर्वत की ऊंचाई १०००४० योजन है और इसमें चार वन में, चारों दिशाओं में, १-१ जिन मंदिर होने से, कुल १६ जिन मंदिर है।
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अरिहंत सिद्ध और अरिहंत साधु
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एकत्व भावना।
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आचार्य श्री शुभचन्द्र जी
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आचार्य श्री शुभचन्द्र जी
आज की पह्रेली लॉकर खोले एक ताले की दो चाबी
In जैन धर्म पहेली
Posted · Edited by अंजलि जैन
१, अनल्प, चार, अनाचार
२, काया, उत्सर्ग, कायोत्सर्ग
३, विमल, वाहन, विमलवाहन
४, जीत, शत्रु, जीतशत्रु
५, नंदी, मित्र, नंदिमित्र
६, नर, मुख, नरकामुख
७, जम्बूद्वीप, स्वामी, जम्बूस्वामी
८, पुरूष, उत्तम, पुरुषोत्तम
९, पुष्प, दन्त, पुष्पदन्त
१०, वज्र, दण्ड, वज्रदण्ड
११, भानु, राजा, भानुराजा
१२, चित्र, आलय, चैत्यालय