जय जिनेंद्र, जय महावीर प्रभु की
प्रतिदिन ,प्रति समय जन्म होता है, मरण होता है तीन लोक में असंख्यात जीवों का, न उनके इस परिवर्तन का इतना महत्व होता है ,ना इसमें कोई विशेष बात होती है ,ना इनका कोई कल्याणक होता है। ऐसा क्या होता है ,ऐसा कौनसा पुण्य-प्रताप, ऐसे कौनसी प्रभा होती है, कौनसे गुणों से उस जन्मे नन्हे बालक का कल्याणक मनाने स्वर्ग से सौधर्म इंद्र स्वयं नीचे धरती पर श्वेत ऐरावत हाथी पर सवार हो कर आते है, सारी नगरी सज धज कर इस उत्सव को मनाती है, उस जन्मे नन्हे बालक में ऐसा कौनसा विशेष ,अद्भुत आनंद होता है ,दशों दिशाएँ ढोल नगाड़े, रत्नों की वर्षा से , नृत्य गान से गुंजायमान होती है, पाण्डुकशीला पर क्षीरसागर के 1008 कलशों के जल से उस नन्हें बालक का जन्म-अभिषेक कर कल्याणक मनाया जाता है ।
*वीर प्रभु का जन्म ,अंतिम जन्म, वीर प्रभु का जन्म , स्वयं के कर्मों को पूर्ण जलाने के लिए जन्म,
अतिवीर प्रभु का जन्म, आत्म को शुद्ध बनाने का अंतिम जन्म
वर्द्धमान प्रभु का जन्म, केवलज्ञान की ज्योत से तीन लोक के असंख्यात जीवो के मोह रूपी अंधकार को मिटाने का मार्ग बताने के लिए जन्म, महावीर प्रभु का जन्म , "अहिंसा परमधर्म" की ध्वजा लहराने के लिए जन्म, सन्मति प्रभु का जन्म ,"जीओ और जीनो दो" की जीवन कला सीखाने के लिए जन्म, महावीर प्रभु अनंत गुणों की खान ,अन्त सुख की खान*। महावीर प्रभु का जन्म कल्याणक का उत्सव , आज के इस भौतिकता में डूबे हम सभी भटके जीवो का सहारा बन साथ रहने के लिए जन्मकल्याणक का उत्सव, इस वर्ष का हो ऐसा वीर प्रभु का जन्मकल्याणक ,सारे विश्व के जीव धारण करे "जीओ और जीने दो" की जीवन जीने की कला, सारे विश्व के जीव के हृदय में हो अहिंसा परम धर्म का नाद, सारे विश्व में लहराएँ ध्वजा जैन धर्म की, बधाइयाँ , ढोल ,नगाड़े, आनंद, एकता हो , गान ,नृत्य हो, सारी नगरी सजी हो,अहिंसा के संदेश की ध्वजा लहराती हो, ऐसा महावीर प्रभु का जन्मकल्याणक का उत्सव घर घर, नगर नगर, शहर शहर ,देश विदेश में हो ।
अंजलि बज
बैंगलोर