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Ruchi California

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शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. Artist(s): भजन मुनि श्री प्रणम्य सागर जी | अस्त हो रहे
    अस्त हो रहे ज्ञान सूर्य ने, सोचा था इक दिन की शाम मेरे ढल जाने के बाद, कौन करेगा मेरा काम अंधकार मय मोह जगत में, ज्ञान प्रकाश भरेगा कौन? मेरे जीवन की बुझती, ज्योति को और जलाये कौन सब अयोग्य कातर दिखते हैं, कोई न दिखता है निष्काम मेरे ढल जाने के बाद...... धर्म महा है पाथ कठिन है, किसको इसका रहस कहें निष्ठा का जो दीप जलाये, ज्ञान चरित में लीन रहें तभी एक विद्याधर आया, दूर कहीं से गुरु के धाम मेरे ढल जाने के बाद...... फिर गुरु ने शिक्षा-दीक्षा दे, इच्छा जल को जला दिया स्वयं शिष्य के चरणों में आ, बैठ अहं को गला दिया खूब जले विद्या के दीपक, दुआ ज्ञान की आठों याम मेरे ढल जाने के बाद...... तुम प्रकाश के पुंज बनो अरु तुम्हीं बनो सूरज श्रीमान् तुम्हीं चलाओ सबको पथ पे, और चलो खुद हे धीमान् मैं निश्चिंत हुआ विद्या मुनि, जीवन सफल बना वरदान मेरे ढल जाने के बाद...... गुरुकुल बना के कुल-गुरु बनना, वचन नहीं प्रवचन देना छोटा बड़ा भेद को तज के, तुम सबको अपना लेना यूं कहकर फिर बिदा हो गया, ज्ञान सूर्य वह गुरु महान मेरे ढल जाने के बाद......
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