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Arpita Singhai

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शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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Posts posted by Arpita Singhai

  1. On Thu Jul 18 2019 at 6:15 PM, Pramod jain1954 said:

    जिन पदार्थों में स्पर्श,रस,गंध वर्ण इत्यादि गुण पाये जाते हें,उन्हें मूर्तिक पदार्थ कहते हैं।सभी पुदगल पदार्थ मूर्तिक होते हैं।

    उक्त के विपरीत जिन पदार्थों में स्पर्श,रस,गंध वर्ण इत्यादि गुण नहींपाये जातेहैं,उन्हें अमूर्तिक पदार्थ कहते हैं। जैसे जीव द्रव्य(आत्मा), आकाश द्रव्य,धर्म द्रव्य,अधर्म द्रव्य और काल द्रव्य इत्यादि

    तो क्या मूर्तिक एवं रूपी और अमूर्तिक एवं अरूपी को एक समझना चाहिए।फिर अलग अलग शब्दों का उपयोग क्यों किया गया

    On Thu Jul 18 2019 at 6:43 PM, Pramod jain1954 said:

    निक्षेप  किसी भी पदार्थ अथवा वस्तु को लोक व्यवहार से पहचान हेतु निम्नप्रकार पहचान/नाम दिये जाने को निक्षेप कहते हें।

    नाम निक्षेप लोक व्यवहार हेतु किसी का नाम एसा नाम रख देना जिसके गुणों सेउसका दूर दूर तक कोई नाता नहीं हो ,जैसे इन्द्र,गणेश महादेव

    स्थापना निक्षेप जैसे किसी मूर्ति में भगवान की स्थापना कर उन्हें भगवान महावीर कहना,शतरंज की गोटियों में हाथी ,घोडे ऊँट,राजा,रानी इत्यादि मानना जब कि उनकी बनावट वैसी नहीं होती 

    द्रव्य निक्षेप  किसी राजा के पुत्र को भविष्य का राजा मान कर राजा कहना इत्यादि

    भाव निक्षेप

      जो वर्तमान में जो है,उसे वैसा ही कहना जैसे देवों के राजा कोइन्द्र कहना,राजा कोराजा कहना, पुजारी को पुजारी कहना इत्यादि

     

     

    यह समझ आ गया भैया जी।धन्यवाद

     

  2. संसार अजीव के होने पर होता है क्योंकि जीव और अजीव के बद्ध होने से संसार होता है,यह कथन स्पष्ट नही हो रहा है।कृपया समाधान कीजिये

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