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Rishi___Jain

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    दर्शनसार जी ग्रंथ आचार्य देवसेन द्वारा लिखा गया है।
  2. *एक वर्ष के लिए लेने योग्य नियम* अपने तीर्थराज सम्मेद शिखर जी, गिरनार जी आदि तीर्थों पर जो संकट आए हैं,हम सभी को कम से कम एक वर्ष के निम्न नियम या इनमें से कुछ कुछ नियम तो ज़रूर लेने चाहिए ताकि भविष्य में हमारा जैन धर्म और जैन तीर्थ सुरक्षित रहें 1 णमोकार मंत्र की एक जाप । 2 प्रतिदिन देवदर्शन, पूजन, अभिषेक। 3 प्रतिदिन आधा घंटा/ 1 घंटा शास्त्र स्वाध्याय । 4.पूरे वर्ष में कम से कम 5 शास्त्रों का स्वाध्याय पूर्ण करेगें । 5 अपने आसपास के ऐसे तीर्थक्षेत्र या छोटे मंदिर जहां पर किसी कारण वश ( दूर होने की वजह से या कम प्रसिद्ध होने की वजह से )लोग नही जाते हैं वहां पर साप्ताहिक / मासिक दर्शन करने / पूजन अभिषेक करने अवश्य जाएंगे। वहां पर छोटे/ बड़े स्तर पर महीने में एक बार विधान अवश्य करेगें । 6 एक घंटा जागृत अवस्था में मौन । 7 मौनपूर्वक ही भोजन करेंगे। 8 रात्रि में सोने से पूर्व और सुबह उठकर प्रथम में प्रथम पंच परमेष्ठी का ध्यान करेंगे। 9 जमीकंद त्याग ,रात्रिभोजन त्याग। 10 बाज़ार की अभक्ष्य खाद्य पेय वस्तुओं का त्याग। 11 छना हुआ शुद्ध जल ही पियेंगे एवं दैनिक क्रिया में वापरेंगे। 12 नए कपड़े,गहने , जूते -चप्पल, मोबाइल लैपटॉप, मकान, प्लॉट आदि की मर्यादा करेंगे। 13 सिनेमा, वेब सीरीज, फूहड़ संगीत आदि को ना सुनकर उस समय को प्रवचन, जैन भक्ति, प्रथमानुयोग की कथा आदि सुनने में लगाएंगे । 14 जिनवाणी की रक्षा उसको पढ़कर समझकर ही की जा सकती है,जिनवाणी स्वयं पढ़ेंगे अन्य को पढ़ने की प्रेरणा देंगे, पुराने ग्रंथ हों उनको छपवाना, पात्र जीवों को पढ़ने देना आदि करके जैन धर्म की सेवा की कोशिश करेंगे
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