🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 तीन लोक हर्षाते,जन्म होता जब महावीर का, नरंको तक में, शांति का झरना झरता है।
चाहते सूत्र, सुख समृद्धि और शांति का, तो जिओ और जीने दो, संदेश वीर प्रभु का कहता है।।
राम हो या महावीर,भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का बहता है।🙏🏼🙏🏼
इक ज्योति पुंज का जन्म हुआ,उद्धार हुआ जन जन का, भारत वसुधा कृतार्थ हुई ।
धन्य हुए सिद्धार्थ, धन्य- धन्य मां त्रिशला, पाकर जन जन, महिमा जिनकी गाता है।।
राम हो या महावीर, भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का बहता है।🙏🏼🙏🏼
ध्येय सर्वज्ञ बनना और बनाना, हित हो प्राणी मात्र का, नमन सिर्फ वीतरागता को करता है।
क्रोध का हार बना दे, क्षमा के फूलों से, आडंबर नहीं स्वार्थ और अहंकार का, मायाचारी से डरता है।
राम हो या महावीर,भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का बहता है।🙏🏼🙏🏼
ब्रह्मचार्य पर आरूढ़ हो, त्याग निधि को पाकर, भौतिक सुखों से जो,कोसों दूर रहे।
संयम तप की,अग्नि में जलने वाला,निज गौरव को प्राप्त कर,कुंदन बन चमकता है।।
राम हो या महावीर, भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का रहता है।।
मन में दया का सागर उमड़े, परिग्रह हो गागर जितना, वाणी से सत्य की धार बहे।
बूँद मात्र भी हिंसा ना हो,
कोसों दूर कुशिल से, पर धन पर, न अपना अधिकार जमाता है ।।
राम हो या महावीर,भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का बहता है।।🙏🏼🙏🏼
रोम रोम में रहे नाम प्रभु का, वीतराग छवि आंखों में, पर सेवा के लिए हाथ बढे।
प्रभावना जिन शासन की इस मुख से, कानों से जिनवाणी श्रवण,परोपकार के लिए पांव बढ़ाता है।।
राम हो या महावीर भगवान वही बनता रगों में जिसकी लहू करुणा का बहता है।।🙏🏼🙏🏼
हिंसा के बादल छाए,झुलस रही सारी दुनिया, आशा की किरण भी धूमिल हुई।
जियो और जीने दो प्यारे,चार शब्दों की इस युक्ति में, हर समाधान नजर आता है।।
राम हो या महावीर, भगवान वही बनता, रगों में जिसकी, लहू करुणा का बहता है।।🙏🏼🙏🏼
तीन लोक हर्षाये, जन्म हुआ जब महावीर का, नरंको तक में, शांति का झरना झरता है ।
चाहते सूत्र, सुख, समृद्धि और शांति का, तो जिओ और जीने दो,संदेश वीर प्रभु का कहता है।।
विनोद पाटनी (बस्सी वाले ) किशनगड़ ,अजमेर 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻