सादर जय जिनेंद्र
संयम सौरभ साधना जिनको करे प्रणाम त्याग तपस्या तीर्थ का महावीर स्वामी है नाम वीतराग की प्रतिमा को कोटि-कोटि प्रणाम ज्ञान ध्यान जिनागम का वीर प्रभु है धाम
वर्तमान में वर्धमान की आवश्यकता है यह जैन भजन की पंक्ति आज हर जैनी के हृदय को झकझोर रही है विश्व जहां विनाश की कगार पर है हम सब हिंसा अत्याचार आतंकवाद माया चारी और अब कोरोना जैसी भयावह महामारी से आतंकित है आज आवश्यकता है महावीर भगवान के सिद्धांतों की प्रभावना की आचरण में लाने की और जियो और जीने दो वीर प्रभु के संदेश को चरित्र में अंगीकार करने की शाकाहार का महत्व बताते हुए शुद्ध सात्विक जीवन का पालन करना है महावीर भगवान के संदेशों को मैसेज और स्टेटस तक सीमित नहीं रखना है अपने आचरण में लाना है स्वयं प्रेरित होते हुए लोगों के लिए प्रेरक बनना है महावीर के सिद्धांतों को अपनाएंगे पशु से परमात्मा बन जाएंगे