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Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 45
उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार- भुग्ना:,
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशा:।

त्वत्पाद-पङ्कज-रजो-मृत-दिग्ध-देहा:,
मर्त्या भवन्ति मकर-ध्वज-तुल्यरूपा:॥ 45॥
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