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Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 42
वल्गत्-तुरङ्ग-गज-गर्जित-भीमनाद-
माजौ बलं बलवता-मपि-भूपतीनाम्।

उद्यद्-दिवाकर-मयूख-शिखापविद्धं
त्वत्कीर्तनात्तम इवाशु भिदामुपैति॥ 42॥
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