Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
Unknown


Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 40
कल्पान्त-काल-पवनोद्धत-वह्नि -कल्पं,
दावानलं ज्वलित-मुज्ज्वल-मुत्स्फुलिङ्गम्।

विश्वं जिघत्सुमिव सम्मुख-मापतन्तं,
त्वन्नाम-कीर्तन-जलं शमयत्यशेषम्॥ 40॥
×
×
  • Create New...