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Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 38
श्च्यो-तन्-मदाविल-विलोल-कपोल-मूल,
मत्त- भ्रमद्- भ्रमर-नाद-विवृद्ध-कोपम्।

ऐरावताभमिभ-मुद्धत-मापतन्तं
दृष्ट्वा भयं भवति नो भवदाश्रितानाम्॥ 38॥
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